Description
लेखक ने ‘लोहे के सन्दूक’ में अपने जीवन की 15 स्मृतियों को कहानी के रूप में सहेजा है। संयोग से लेखक का यह सन्दूक खुला रह गया था। उत्सुकतावश मैंने उसे खोल लिया, तो बऊवा के ‘ज्योमेट्री बॉक्स’ ने कुछ ऐसा आकर्षित किया कि बिना रुके मैं इसे आद्योपांत पढ़ने पर बाध्य हो गया। इसके अलावा, ‘पप्पी’, ‘हे! सुनथऊ, ऊपरां आवा’, ‘लोहे का सन्दूक’ आदि भी लोकशब्दों से परिपूर्ण अपने कथ्य, तथ्य, भाषा, सौष्ठव के साथ अत्यंत सुरुचिपूर्ण और सरस बन पड़े हैं।





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