Description
अनिता अनुश्री की कविताओं को पढ़ना ज़िंदगी की तमाम हक़ीक़तों से रूबरू होने जैसा है। आपकी कविताओं में कहीं मासूम लड़कियों के प्रेम में पगे भोले मन का चित्रण है तो कहीं उनके भोलेपन को ठगे जाने का ज़िक्र और कहीं बलात् उनके शील हरण की घटनाओं के पश्चात उत्पन्न घोर पीड़ा एवं भय के मनोभावों के चित्रण के साथ ही समाज के दोहरे मापदण्डों एवं विद्रूपता को आपने बख़ूबी शब्दों के माध्यम से उभारा है। ऐसा नहीं कि अनिता जी ने अपनी रचनाओं में मात्र स्त्रियोचित भावों को ही स्थान दिया है वरन् अपने आस-पास की घटनाओं से उत्पन्न मनोभावों को भी उतनी ही संजीदगी से स्थान दिया है। इस पुस्तक में न केवल अनिता जी की रचनाएँ ही शामिल हैं बल्कि इसका आवरण पृष्ठ भी आपने ही डिज़ाइन किया है। हालाँकि आपकी यह पहली पुस्तक है मगर रचनाओं में ज़िंदगी के अनुभवों को आपने बेहद बारीक़ी से उतारते हुए अपनी रचनाधर्मिता का पूरे मनोयोग से निर्वाह किया है।





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